Charchaa a Khas
पारो शैवलिनी की कलम से
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि लाॅकडाउन के दौरान बदहाल एवं मजबूर मजदूर जो अपने-अपने राज्य में वापसी किए हैं उन मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कर सभी राज्य उन्हें वहीं रोजगार दें। आगामी 9 जून को सुको इस पर अपना अंतिम फैसला सुनायेगी।
गौरतलब है कि अबतक झारखंड में लगभग साढ़े 4 लाख मजदूर आ चुके हैं। बिहार में भी लाखों की संख्या में मजदूरों की वापसी जारी है। ऐसे में सबसे अहम सवाल यह है कि एकाएक प्रायः सभी राज्यों में न सिर्फ लोगों की संख्या में विस्फोट होगा बल्कि रोजगार मुहैया के मामले में भी अच्छा – खासा सिरदर्द होगा तमाम राज्यों मे।
एकबात यह भी है कि तमाम मजदूरों को रोजगार देने में क्या सभी राज्य पूरी तरह से सक्षम होंगे।
इस साल बिहार में चुनाव होना है। बिहार के साथ-साथ सभी राज्यों के सीएम के समक्ष यह एक बहुत बड़ी चुनौती है।
झारखंड के एक समाजसेवी सह विधानसभा के लिए चुनाव लड़ चुके मुन्ना शर्मा का मानना है कि निश्चित तौर पर सभी राज्य की सरकारों को इसपर ध्यान देना चाहिए। रोजगार इन मजदूरों का मौलिक अधिकार है। बल्कि राज्यों का यह कर्तव्य बनता है कि वो सुप्रीम कोर्ट के संकेत को समझे साथ ही रोजगार के अवसर को बनाने में कोताही न बरते।